गुजराती साहित्य को इन्टरनेट पर लोकप्रिय बनाने वाले युवा ब्लॉगर मृगेश शाह नहीं रहे। सादर श्रद्धांजलि। उनका १९ मई को ब्रेन-हेमरेज हुआ।कल उनका दुखद अवसान हुआ। उनकी उम्र ३६ वर्ष थी।वडोदरा के इस युवा ने गुजराती की सर्वाधिक लोकप्रिय साहित्यिक वेबसाइट बनाई।नवम्बर २००६ में मैंने उनसे बात की थी। यह ‘तरकश’ में प्रकाशित हुई थी।
‘तरकश’ ने उसे प्रकाशित किया था।
मृगेश शाह का www.readgujarati.com १,३३००० लोगों द्वारा देखा जा चुका है.औसतन ६००-७०० लोग रोज इस स्थल पर पहुंचते हैं.’पुस्तक परिचय’ और ‘साहित्य विभाग’ नामक दो चिट्ठे मूल स्थल से जुडे हैं.’साहित्य-विभाग’ ३,०००,०० लोग देख चुके हैं.मृगेश मानते हैं कि प्रतिष्ठित साहित्यकारों की रचनाओं तथा गुजराती प्रेमियों की व्यक्तिगत चर्चा की कारण इतनी पाठक संख्या हो सकी है.’रीड गुजराती’ के बारे में लगभग सभी गुजराती अखबारों और लोकप्रिय पत्रिकाओं में लेख छपे हैं.
मृगेश शाह से ‘तरकश’ के लिए मेरी बात-चीत प्रस्तुत है – अफलातून. :
१. गुजराती में ब्लॉग्स की शुरुआत , प्रसार और अभी की हालत पर संक्षिप्त टिप्पणी करें.संख्या का अनुमान दें.
गुजराती में सर्वप्रथम ब्लॉग www.forsv.com/guju है. इसके पहले कोई ब्लॉग रहा हो ऐसी जानकारी नहीं है.यह चिट्ठा अमेरिका में रहने वाले एक कम्प्यूटर वैज्ञानिक द्वारा चलाया जाता है.वर्षों से वे भी काफी अच्छा काम कर रहे हैं.उनके चिट्ठे पर खासतौर पर काव्य,रास-गरबा सुन्दर होता है.
तमाम गुजराती चिट्ठों का प्रसार ‘मित्र-मंडलियों’ और ‘सर्च इन्जिनों’ द्वारा हुआ है.गुजराती सूचना-तकनीक के क्षेत्र में अच्छी संख्या मे हैं तथा कविता,गज़ल और साहित्य का शौक आम है,इस से ही चिट्ठों की सुविधा का प्रयोग करने की लोगों को प्रेरणा मिली है,साथ- साथ निजी शौक की सृजनात्मक अभिव्यक्ति भी हो जाती है.
पिछले एक साल में गुजराती चिट्ठों की संख्या बहुत बढी है,उससे पहले तीन-चार सक्रिय चिट्ठे थे. अब करीब तीस चिट्ठे हैं.
२.फिलहाल , ज्यादातर गुजराती ब्लॉग्स व्यक्तिगत शेरो-शायरी और साहित्य पर ही हैं.ग्यान-विग्यान, राजनीति , सामयिक घटनाक्रम, खेल कूद आदि पर कम हैं.इन विषयों पर ब्लॉगिंग बढे-इसके लिए क्या कोई सामूहिक या व्यक्तिगत प्रयास हो रहे हैं ?
आप की बात सही है.अभी ज्यादातर गुजराती चिट्ठे काव्य,गज़ल और साहित्य-केन्द्रित ही हैं.’कलरव’ नामक एक चिट्ठा बच्चों के लिए है तथा ‘गुजराती सारस्वत परिचय’ नामक गुजराती चिट्ठे में गुजराती के साहित्यकारों की जीवनियों की झलकियां देखी जा सकती हैं.चन्द चिट्ठों को छोड ज्यादातर साहित्य-केन्द्रित चिट्ठे हैं.राजनीति,सामयिक सामाजिक घटनाओं पर आधारित चिट्ठे दिखाई नहीं पडते.इसका कारण यह हो सकता है कि उन्हें रोज नयी प्रविष्टियों से ताजा रखना होगा,जो नही हो पाता.आमतौर पर चिट्ठेबाजी सरलता से चलने वाली शौकिया वृत्ति है इसलिए पेशे या व्यावसायिक व्यस्तता वाले लोग रोज-ब-रोज ‘अपडेट’ करने वाले विषय सहजता से चुनते ही नहीं.इसके बावजूद अब कुछ गुजराती मंच और समूह संजाल पर गठित हो रहे हैं,यह खुशी की बात है.
३.आपके ब्लॉग की पाठक संख्या बहुत अच्छी है.इसके लिए क्या उपाय किए -कि इतनीपाठक संख्या हो गयी ?’ रीड गुजराती’ की सफलता की कहानी संक्षेप में बतायें.
सबसे पहले यह स्पष्ट कर दूं कि www.readgujarati.com का स्वरूप चिट्ठे का नहीं,वेबसाइट का है.साहित्य और पुस्तक चर्चा के लिए मैंने चिट्ठों का उपयोग किया है क्योंकि उससे जालस्थल का गठन सरल हो जाता है तथा फ़ीड का लोग उपयोग कर पाते हैं.इस लिए मेरे द्वारा ब्लॉग्स का उपयोग वेबसाइट की मदद में किया जा रहा है.
हां, ‘रीड गुजराती’ की की भारी पठक संख्या को मैं ईश्वर की कृपा मानता हूं.एक कारण यह भी है कि साहित्यिक लेखों वाले चिट्ठे या वेबसाइट नहीं है तथा प्रसिद्ध गुजराती लेखकों की कहानियां और निबन्ध पढने को मिलते हों और नियमित तौर पर मिलते हों ऐसा अन्य कोई जालस्थल नहीं है.
रीडगुजराती ने ज्यादातर गुजराती अखबारों और पत्रिकाओं का ध्यान खींचा है.पाठक अपने मित्रों और स्वजनों को भी इसके बारे में बताते हैं.इसकी भारी पाठक संख्या साइट की पब्लिसिटी के कारण नहीं है अपितु साहित्य में लोगों की ऋचि के कारण है.फ़िर यह पाठक संख्या अचानक नहीं हुई है,एक साल की अवधि में धीरे धीरे लोग इसके बारे में जानने लगे.उत्तम साहित्य पढने की उत्कट इच्छा परदेश में रहने वालों को होती है इसलिए ज्यादा तादात में वे प्रवासी गुजराती इस जालस्थल पर आते हैं.
४.भारतीय भाषाओं में ब्लॉगिंग के भविष्य के बारे में आप क्या सोचते हैं ?
भारतीय भाषाओं में ब्लोग काफ़ी विकसित हुए हैं.उनमें हिन्दी की व्याप्ति के कारण अगणित ब्लॉग बने हैं , यह आनन्द की बात है.इससे हमारा साहित्य टिकेगा और दूर के लोगों के लिए भी लोकोपयोगी बन पडता है. इसलिए यह इन्टरनेट का सदुपयोग ही माना जाएगा.चिट्ठे सतत नई प्रविष्टियों से ताजे रखे जांए,विविध विषयों का समावेश करें तो अधिक उपयोगी होंगे.ब्लॉगिंग अच्छी वृत्ति है लेकिन इसके साथ यह ध्यान रखा जाए कि उत्तम सामग्री परोसी जा रही है.यह मनोरंजन का साधन न बने,ज्ञान प्राप्ति का श्रेष्ठ साधन बने.