शास्त्रीय संगीत पर आधारित व्यंग्य ! मुझे लगता है उत्कृष्ट व्यंग्य के साथ उत्कृष्ट शास्त्रीय संगीत का मेल बैठाना अत्यन्त हूनरमन्द ही कर सकते हैं । ऐसे कभी कदाच ही मुमकिन होता है । मेरे होश में आने के बाद सुनील दत्त / किशोर कुमार बनाम महमूद (मन्ना डे) की पडोसन में हुई स्पर्धा ही इस श्रेणी में गिनी जाएगी ।
शंकर जयकिशन द्वारा संगीतबद्ध इस गीत में मन्ना डे के साथ किसी पक्के शास्त्रीय गायक के टुकड़े भी हैं । क्या वह पण्डित भीमसेन जोशी की आवाज है ? गीत मियाँ की मल्हार में है।
प्रकाश अरोड़ा द्वारा निर्देशित इस श्वेत – श्याम फिल्म बूट पॉलिश (१९५४) में बेबी नाज़ , रतन कुमार,चाँद बुर्के और चरित्र अभिनेता डेविड अब्राहम ने अभिनय किया है। रतन कुमार की चर्चा मैंने इस पोस्ट में की है । इस फिल्म को सर्वोत्तम फिल्म के लिए फिल्म फ़ेयर पुरस्कार मिला । केन्स फिल्म समारोह में बाल कलाकार के रूप में बेबी नाज़ के उत्कृष्टअभिनय का विशेष उल्लेख किया गया । डेविड को सर्वोत्तम सहायक अभिनय के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार मिला था। विडियो यहां देखें ।
कमाल के बरखा गीतों में से एक!
बचपन से मैं यह गीत सुनते आ रहा हूँ, शायद मुझे इसी से शास्त्रीय रागों पर आधारित गीत सुनने का शौक लगा।
आभार अफलातून सा.
दादा,
इस गीत को अभी फ़िर सुना.
मन के भीतर से आवाज़ आई
कितने बनावटी हो गए हैं हम
हास्य कितना भद्दा कर लिया हमने
अपने पर हँसना क्यों भूल गये हम
हमें क्यों जाना पड़ता है हास्य क्लबों में
एक गीत कितनी बातें करता है ?
शास्त्रीय संगीत की ये विधाएं कहाँ खोती जा रही है? यह एक चिंता का विषय होना चाहिए था. आखिरकार हम क्या इसे इतनी आसानी से वापस ला सकेंगे? लगता है अभी तो मार्केट इकोनोमी ने भारतीय संगीत को नस्त नाबूद करने की कसमें खा राखी हैं और हम उसे आसानी से रस्ते भी दे रहे हैं. आशा है आप का ऐसा प्रयास कुछ तो रंग लाएगी.
Nice idea
You might appreciate this classic better by watching it again after reading my discussion entitled “The Lapak Jhapak approach to Bollywood, Indian aesthetics and Vedic ritual”
http://www.svabhinava.org/abhinava/Sunthar-LapakJhapak/LapakJhapak-frame.php
The contentious identity of the râga is also discussed and the solution proposed is that this illustrates the ‘semblance of râga’ (râgâbhâsa) that hovers between the KâNaDa and Malhâr families. There’s also a funny comparison to the Frog-Hymn of the Rig Veda…
Sunthar
P.S. I’ve also translated some of your fine comments from Hindi into English within this discussion to support my arguments.
Sunthar
[…] मीयाँ की मल्हार में व्यंग्य […]
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