‘ शिक्षा का है ,क्यों यह हाल ? दूर कलम से गई कुदाल ’ : श्रम और बुद्धि के कामों के बीच खाई को बढ़ाने वाली हमारी शिक्षा व्यवस्था के दुर्गुण को प्रकट करता है यह नारा । ’ पढ़ा-लिखा ’ होने का घमण्ड और गैर पढ़े-लिखे के गुणों के प्रति आंखे मूँद लेना , निहित है इस शिक्षा व्यवस्था में । ब्लॉगर-दिल-अजीज मैथिली गुप्त ’डिग्री की भिक्षा नहीं जीवन की शिक्षा’ में यक़ीन रखते हैं । इस बुनियादी यक़ीन को मैथिलीजी अमल में लाये हैं । उनके दोनों पुत्र औपचारिक उच्च शिक्षा से मुक्त रह कर अत्यन्त सफल रहे हैं ।
बैंक की नौकरी छोड़ने के बाद मैथिलीजी ने तरुणों को रोजगारपरक तालीम देने के लिए एक वोकेशनल स्कूल चलाया । जिन हूनरों से स्वरोजगार शुरु किए जा सकते हैं उनका प्रशिक्षण उस स्कूल में होता था। इन्टरनेट आने से पहले जब कम्प्यूटर आ चुके थे और डेस्कटॉप प्रकाशन की शुरुआत हो रही थी तब मैथिलीजी ने कृतिदेव और देवलिज़ (Devlys) नाम के फ़ॉन्ट निर्मित किए और उनके पेटेन्ट भी मैथिलीजी के नाम हैं । पिछले दिनों मैथिलीजी और सिरिल के दफ़्तर में जाने का फिर मौका मिला तब चाक्षुष इन तमाम पेटेंटों के प्रमाणपत्र देखे । कृतिदेव भारतीय भाषाओं में ऑफ़लाईन टाइपिंग का सर्वाधिक प्रयुक्त फ़ॉन्ट है । देवनागरी तथा मैथिली से मिलकर देवलिज़ बना । अंग्रेजी के हस्तलेखन की विभिन्न स्टाइलों का कम्प्यूटर के लिए इजाद भी आपने किया । भारतीय भाषाओं के कम्प्यूटर पर प्रयोग के लिए किए गए योगदान को धन कमाने का जरिया न बनाने की मंशा शुरु से रही और ’ब्लॉगवाणी’ की सेवा भी इसीलिए मुफ़्त थी ।
मैथिलीजी ’दिनमान’ की पत्रकारिता से प्रभावित रहे हैं । ’ब्लॉगवाणी’ के जरिए हजारों ब्लॉगरों की रचनात्मक अभिव्यक्ति और जनता की पत्रकारिता के प्रसार में सिरिल और मैथिलीजी ने योगदान दिया है जिसे भुलाना मुश्किल है । ’नारद’ के अवसान के समय व्यर्थ के विवाद में न पड़कर एक विकल्प देकर उन्होंने अपनी रचनात्मकता को प्रकट किया था ।
हिन्दी चिट्ठेकारी में छिछली मानसिकता के साथ शुरु हुई कुछ गिरोहबन्दियां रचनात्मकता विरोधी रही हैं । उनका पराभव तय है । उतना ही तय है कि इस रचनात्मक परिवार का योगदान हिन्दी ब्लॉगजगत को भविष्य में भी मिलता रहेगा ।
मैथिली जी के बारे में मैंने भी एक पोस्ट लिखी थी – चिट्ठाकारी, भावुकता और व्यावसायिकता. कड़ी यह रही –
http://raviratlami.blogspot.com/2007/07/blog-post_16.html
aabhaar is post ke liye..blogvani ki prateeksha hai..
इस रचनात्मक परिवार का योगदान हिन्दी ब्लॉगजगत को भविष्य में भी मिलता रहेगा -यही हमारी भी कामना है.
गुप्त परिवार का योगदान साधुवाद का पात्र है.
मैथिली जी के बारे में और उनके महत्वपूर्ण काम के बारे में बेहतर ढंग से जानने का मौका मिला. उनसे मिलने का बहुत मन है. शायद जुलाई-अगस्त में सम्भव हो .
मैथिली जी के बारे में दी गई जानकारी का स्वागत है। लेकिन मैथिली जी के बारे में यह जानकारी अत्यल्प है। इस का विस्तार कीजिए।
निःसंदेह मैथिली जी का योगदान महत्वपूर्ण है। निजी अनुभव के आधार पर यही कहूंगा कि वे विनम्र, जिज्ञासु और कर्मठ व्यक्तित्व हैं।
अफ़लातून ने उनके व्यक्तित्व से जुड़ी नई बातों पर प्रकाश डाला. आभार.
मैथिली शरण गुप्त का नाम शीर्षक में देख कर सोचा कि शायद प्रसिद्ध कवि मैथिली शरण गुप्त की बात होगी. इन दूसरे मैथिली जी से मिलवाने का लिए धन्यवाद. हिंदी गणिकी के लिए और चिट्ठाजगत के लिए इतना काम करने वाले का नाम मेरे लिए तो अनजाना ही था.
ब्लाग जगत के लिए मैथली जी का योगदान भुलाया नहीं जा सकता।
आभार
मैथिलीजी व सिरिल परिश्रमी एवं उद्यमशील तो हैं ही दूरदर्शी भी हैं उनसे बहुत कुछ सीखा है।
मेरे विचार से ब्लॉगवाणी हिन्दी ब्लॉगिंग का एक अति महत्वपूर्ण प्लेटफ़ॉर्म था / है. उसका यूं बन्द हो जाना दुर्भाग्यपूर्ण है.
लेकिन फ़िलहाल मैथिली जी के बारे में इतनी सारी बातें बताने का आपको शुक्रिया. उनकी कर्मठता को नमन.
आस तो नहीं है पर देखिये शायद निकट भविष्य में ब्लॉगवाणी पुनः शुरू हो जाए. इंशाअल्लाह!
मेरी तमाम शुभकामनाएं मैथली परिवार को. वे रचनात्मक काम करे और खूब तकनीकी कार्य करते हुए समृद्धी अर्जित करे, रोजगारों का सृजन करे. यही ताकतवर भारत को बनाने का रास्ता भी है.
यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे मैथिली जी से दो बार मिलने का अवसर प्राप्त हुआ, और जैसा कि अक्सर ऐसे मौकों पर होता है… कि किसी बड़े व्यक्तित्व के सामने मेरी बोलती बन्द हो जाती है, वैसा ही दोनों मौकों पर हुआ।
हालांकि उनकी सहजता और मेरे अति-अल्प तकनीकी ज्ञान के बावजूद “शिक्षक की तरह प्यार से समझाने” वाले अन्दाज़ में उन्होंने जैसी बात मुझसे की, उससे मैं थोड़ा सहज हो सका।
रवि रतलामी जी ने जो पुरानी लिंक दी है, उस पर भी मैंने टिप्पणी की थी और उस समय मुझे ब्लॉगिंग में आये कुछ ही समय हुआ था… इसके बावजूद उन्होंने स्वयं मेरे ई-मेल का त्वरित जवाब दिया। ब्लॉगवाणी भले ही सिरिल का उपक्रम हो, लेकिन उसके पीछे की हिम्मत और प्रेरणा मैथिली जी ही हैं, और ब्लागवाणी से उन्हें कोई आर्थिक फ़ायदा नहीं होने के बावजूद, जिस तरह उसे अब तक चलाया है, मुझे उम्मीद है कि आगे भी चलायेंगे।
ब्लागवाणी को लेकर पिछले कुछ समय से जैसा कटु विवाद चला, उससे निश्चित रुप से मैथिलीजी आहत हुए होंगे… लेकिन हम जैसे लोग उनसे अपील करने के अलावा और क्या कर सकते हैं।
बेहतरीन जानकारी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद! हिंदी लेखन और ब्लॉगजगत पर मैथिलि जी का सराहनीय योगदान रहा है.
आशा है मैथिलि जी से आगे भी मार्गदर्शन और सहयोग मिलता रहेगा.
मैथिली जी के विषय में जानकारी प्राप्त करके बहुत अच्छा लगा! हिन्दी के लिये उनके द्वारा किये गये सेवाकार्य को नमन!
जब तक आपका कम से कम एक समर्थक मौजूद है (वह आप खूद भी हो सकते हो) तमाम आलोचकों को अनदेखा करना चाहिए.
शुक्रिया मैथिली जी एंड सिरिल
मैथिलि जी के बारे में इतनी जानकारी देने के लिए धन्यवाद,
मैं मैथिलि जी से मिलना जरूर चाहूँगा,
मुझे नहीं पता था कि कृति देव मैथिलि जी का बनाया हुआ है- इस जानकारी के लिए शुक्रिया |
ब्लोग्वानी बंद होने के बाद में इसकी पूर्ती करने के लिए एक aggregator बनाने के बारे में सोच रहा था, पर अब समझ में आया कि भले ही कितना ही अच्छा बना लूं ब्लोग्वानी की बराबरी नहीं कर सकता-
ब्लोग्वानी जल्द चालू हो ऐसे आशा करता हूँ |
मैथिलीजी का योगदान महत्वपूर्ण है। उनसे दिल्ली में एक बार मिलना हुआ। बेहद सरल और सहज व्यक्तित्व है। आपने उनके बारे में बहुत संक्षेप में मगर सही लिखा है। सिरिल से भी मिलना हुआ। मैथिली जी ने अपने पुत्रों को बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं। इस परिवार के लिए बहुत सी शुभकामनाएं।
मैथिलि जी के बारे में विस्तृत जानकारी अच्छी लगी…. ऐसे प्रभावशाली व्यक्तित्व से मिलाने के लिए आपका आभारी हूँ……
आपकी अंतिम पंक्तिया पूरी पोस्ट का सार है ……कुछ लोग हमेशा डेसट्रकटिव माइंड के होते है .ओर वे हमेशा इस प्रवति के रहेगे .उन्हें इग्नोर करके ही आगे बढ़ा जा सकता है ….अनुरोध कर सकता हूँ के वे भावुक होकर निर्णय न ले…. वर्ना उन्ही लोगो की जीत होगी…….इंतज़ार है .मुझे …….ब्लोग्वानी का
Its sad to know that some bloggers are creating problem to Blogvani. First time came to know that it is managed by a person. seeing its design, look and technical assistance, it always seemed that it must been organised by some Canadian heros(Sameer ji for u)or with some team like facebook.
It will be helpfull to all hindi blogs if it starts soon.
सब कुछ बदला लेकिन आज भी लोगो के कहने पर सीता को घर से निकाल देते है . वही मैथिल जी और सिरिल जी द्वारा हुआ ब्लोग्वाणी को निकाल कर
हिन्दी चिट्ठेकारी में छिछली मानसिकता के साथ शुरु हुई कुछ गिरोहबन्दियां रचनात्मकता विरोधी रही हैं ।यह एक कड़वा सच है….आप का सहयोग मिलता रहे बस यही आशा है…
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