पिछला भाग : परदेशी , खास कर युरोपीय घटनाओं के बारे में हम ज्यादा समझ सकें तथा उनकी चर्चा ज्ञानपूर्वक कर सकें , यह जरूरी है । देश के अंग्रेजी अखबारों में भी इस विषय के लिए उत्तम संवाददाताओं का अभाव है , गुजराती अखबारों की तो बात ही दरकिनार । यह कहा जा सकता है कि उनमें इस विषय का अध्ययन भी सिफ़र है । महायुद्ध ( प्रथम ) के जमाने में खाडिलकर युद्ध के बारे में अध्ययनपूर्ण , ज्ञानवर्धक लेख लिखते थे , उनकी काफ़ी बखान भी होती थी । आज युरोपीय इतिहास और युरोपीय राष्ट्र-सम्बन्धों के ज्ञान से भरे लेखों की बहुत आवश्यकता है । इस कमी को हमें पाटना होगा ।
लोक वित्त शास्त्र का विषय लें । अब इस विषय के कई विशेषज्ञ यहाँ मिलते हैं । गुजराती अखबारों को चाहिए कि वे इन विशेषज्ञों से वक्त-बेवक्त लेख लेते रहें । विशेष विषय ( उदाहरणार्थ – आज-कल विलायत में शांति की प्रतिज्ञा लेने का अभियान चल रहा है, उस पर ) – अंग्रेजों द्वारा संचालित भारतीय अंग्रेजी अखबारों में इस विषय पर विवेचनापूर्ण और ज्ञानपूर्ण लेख आ रहे हैं । ‘ स्टेट्समैन ‘ में युद्ध विषयक हिन्सा-अहिन्सा पर लेखमाला चल रही थी , इस में कुछ लेखों के सुन्दर जवाब ‘ अमृत बाजार पत्रिका ‘ ने दिए थे।गुजराती समाचारपत्र ऐसी बाबतों से अनजान हैं ।
कुछ घटनाओं पर अध्ययनपूर्ण विवेचन करने के लिए हमें खास लेखकों से गुजारिश करनी चाहिए । ‘ खोर्द-गोविन्दपुर केस’ नाम से चर्चित एक चौंकाने वाला मुकदमा कलकत्ते में चला । इस पर हाइकोर्ट के फैसले की बाबत ‘अमृतबाजार पत्रिका’ ने इतनी कानूनी ज्ञानभरी टीका छापी कि हाईकोर्ट के न्यायाधीश को उस पर ध्यान देना पड़ा । वे चिढ़े लेकिन उसके खिलाफ़ कोई कदम न उठा सके और बंगाल भर की जनता के जुबान पर वह मामला चढ़ गया । बारडोली के बेचारे गरीब आदिवासियों को दन्ड न भरने की वजह से सजा हुई ।
इसके बावजूद भी सरकार ने उन्हें बेरहमी के साथ परेशान किया और उनके बर्तन
तथा घरेलू सामान को नीलाम किया । इस पर हाईकोर्ट में कफ़ी टीका हुई और
उन्हें बहुत दिनों के बाद न्याय मिला। इस मसले पर जितनी चर्चा होनी चाहिए उतनी नहीं हुई । ऐसे अन्याय तो अपने गुजरात में थोक में हुए हैं ।
इस भाषण के अन्य भाग :
पत्रकारीय लेखन किस हद तक साहित्य
पत्रकारिता : दुधारी तलवार : महादेव देसाई
पत्रकारिता (३) : खबरों की शुद्धता , ले. महादेव देसाई
पत्रकारिता (४) : ” क्या गांधीजी को बिल्लियाँ पसन्द हैं ? ”
पत्रकारिता (५) :ले. महादेव देसाई : ‘ उस नर्तकी से विवाह हेतु ५०० लोग तैयार ‘
पत्रकारिता (६) : हक़ीक़त भी अपमानजनक हो, तब ? , ले. महादेव देसाई
समाचारपत्रों में गन्दगी : ले. महादेव देसाई
क्या पाठक का लाभ अखबारों की चिन्ता है ?
समाचार : व्यापक दृष्टि में , ले. महादेव देसाई
रिपोर्टिंग : ले. महादेव देसाई
तिलक महाराज का ‘ केसरी ‘ और मैंचेस्टर गार्डियन : ले. महादेव देसाई
विशिष्ट विषयों पर लेखन : ले. महादेव देसाई
अखबारों में विज्ञापन , सिनेमा : ले. महादेव देसाई
अखबारों में सुरुचिपोषक तत्त्व : ले. महादेव देसाई
अखबारों के सूत्रधार : सम्पादक , ले. महादेव देसाई
कुछ प्रसिद्ध विदेशी पत्रकार (१९३८) : महादेव देसाई
[ जारी , अगला – सिनेमा और विज्ञापन वगैरह ]
Technorati tags: अमृतबाजार, amritbajar patrika, statesman
oh….yh to mera banaras hai…aur BHU………………..ka gate.
महादेव भाई लिखित ‘तिलक महाराज का केसरी और मैंचेस्टर गार्डियन’ तथा ‘विशिष्ट विषयों पर लेखन’ वाला हिस्सा पढा . बेहद ज़रूरी पाठ्य सामग्री दे रहे हैं आप . बहुत ज़रूरी मानसिक खुराक . आभारी हूं .
बहुत रोटक पर दो मिनट में खतम….
भाई आप तो उल्कापिंड के जैसे सरसराकर निकल जा रहे है…
[…] विशिष्ट विषयों पर लेखन : ले. महादेव देस… […]
[…] विशिष्ट विषयों पर लेखन : ले. महादेव देस… […]
[…] विशिष्ट विषयों पर लेखन : ले. महादेव देस… […]
[…] विशिष्ट विषयों पर लेखन : ले. महादेव देस… […]
[…] विशिष्ट विषयों पर लेखन : ले. महादेव देस… […]
[…] विशिष्ट विषयों पर लेखन : ले. महादेव देस… […]
[…] विशिष्ट विषयों पर लेखन : ले. महादेव देस… […]
[…] विशिष्ट विषयों पर लेखन : ले. महादेव देस… […]
[…] […]
[…] विशिष्ट विषयों पर लेखन : ले. महादेव देस… […]
[…] विशिष्ट विषयों पर लेखन : ले. महादेव देस… […]
[…] विशिष्ट विषयों पर लेखन : ले. महादेव देस… […]
[…] […]
[…] […]