‘ देवताओं की पुष्पवर्षा से जमीनी लड़ाइयां नहीं जीती जातीं । ‘ – चौधरी राजेन्द्र अक्सर कहते हैं।यह शब्दशः चरितार्थ होगा जब सर सुंदरलाल चिकित्सालय,काहिविवि पर आकाश से पुष्पवर्षा होगी।दरअसल कोरोना की लड़ाई में जूनियर डॉक्टर्स,प्रयोगशाला से जुड़े वैज्ञानिक,नर्स और वॉर्ड बॉय ही अभ्यर्थना,सम्मान के हकदार हैं।इस टीचिंग हॉस्पिटल के प्रोफेसरान लॉकडाउन के साथ ही OPD,OT बन्द कर चुके हैं।हर रोज़ OPD में पूर्वी उत्तर प्रदेश,बिहार के 5,000 मरीज इस इलाके के सबसे बड़े अस्पताल की सेवा से वंचित हैं।
इन वरिष्ठ चिकित्सकों की बेहयाई,बुजदिली तब और सिद्ध हुई जब वाराणसी के जिलाधिकारी ने 19 अप्रैल को OPD खोलने की अपील की तब इन लोगों के निहित स्वार्थ में 14 अप्रैल का एक परिपत्र 5 दिन बाद मीडिया को जारी किया जिसमें कहा गया था पूरा चिकित्सालय परिसर कोरोना संक्रमित है।फूल माला पहनने के लिए यह वरिष्ठ डॉक्टर ही अनाधिकार आगे आ जाएंगे।
कल जारी गृह मंत्रालय की विज्ञप्ति में भी OPDs खोलने का निर्देश है।गौरतलब है कि सर सुंदरलाल चिकित्सालय में भर्ती मरीज भी स्त्री रोग और नेफ्रोलॉजी जैसे अपवाद के विभागों में ही हैं।बाकी विभागों में, ICU से मरीज लॉकडाउन के समय ही विदा कर दिए गए थे।
जमीनी लड़ाई और पुष्प वर्षा
मई 2, 2020 अफ़लातून अफलू द्वारा
वैसे तो इंसान से देवत्व की उम्मीद करना बेकार है। पर समस्या ये है कि ‘ प्रोफेशनल एथिक्स’ जो इंसान ने अपने दुनियावी कार्य – व्यापार को सुचारू रूप से संचालित करने के लिये बनाया है – उसका भी नितांत अभाव है – हर स्तर पर।
क्या पता सरकार द्वारा उचित ‘डिस्इफेक्टंट’ और पीपीई किट की आपूर्त्ति न किये जाने का डॉक्टरों के द्वारा किया गया यह एक veiled विरोध हो।
राजनीतिक वर्ग आम जनता के ‘ कंज़म्पशन ‘ लिये जो स्वर्गोपम सुनह२ी तैयारियों और स्कीमों की घोषणा कर रहा है – वह पुष्प वर्षा से अधिक थोड़े ही है।