कल सुबह बनारस शहर के चुने हुए इलाकों में एक अत्यन्त जहरीला , भड़काऊ परचा जिसमें चुनाव कानून के अनुरूप मुद्रक ,प्रकाशक का नाम और संख्या भी नहीं छपी थी (छापने पर जेल भेजने के लिए खोजने की आवश्यकता नहीं पड़ती ) दैनिक समाचार पत्रों में डाल कर बाँटे गये । इस कायराना हरकत के खिलाफ़ मैंने परचे के चित्र सहित मुख्य निर्वाचन आयुक्त ,मुख्य निर्वाचन अधिकारी – उत्तर प्रदेश को शिकायत की तथा केन्द्रीय चुनाव पर्यवेक्षक से इस बाबत बात की ।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त,
भारत का निर्वाचन आयोग ,
नई दिल्ली.
माननीय महाशय,
वाराणसी शहर में प्रात:कालीन एवं सायंकालीन दैनिकों के अन्दर डाल कर अत्यन्त आपत्तिजनक , अवैध, उन्माद फैलाने वाले तथा अशान्ति पैदा करने वाले परचे बाँटे जा रहे हैं । आयोग से निवेदन है कि मतदान से बचे शेष दिनों में स्थानीय प्रशासन द्वारा उन ठिकानों पर चौकसी बरती जाए जहाँ से हॉकर प्रतिदिन अखबार प्राप्त करते हैं । इन परचों को छापने वालों पर तत्काल कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए ।
पंजीकृत राजनै्तिक दल – समाजवादी जनपरिषद के प्रन्तीय अध्यक्ष के नाते मैं इस मामले में आयोग का ध्यान खींच रहा हूँ ।
इस ईमेल के साथ एक आपत्तिजनक पर्चे का चित्र संलग्न हैं ।(ब्लॉग में नहीं)
भवदीय,
अफ़लातून,
प्रान्तीय अध्यक्ष , समाजवादी जनपरिषद,उ.प्र राज्य इकाई.
इस सन्दर्भ में केन्द्रीय चुनाव पर्यवेक्षक श्री जानू अरविन्द रामचन्द्र ने आज मुझे सूचित किया है कि स्थानीय प्रशासन को उन्होंने निर्देश दिए हैं कि हॉकर शहर के जिन स्थानों से अखबार प्राप्त करते हैं वहाँ चौकस बरती जाए ।
ब्लॉग के पाठक अपने इलाके के केन्द्रीय पर्यवेक्षक का मोबाइल नम्बर चुनाव आयोग की साइट से प्राप्त कर सकते हैं तथा एक जागरूक नागरिक के नेता ऐसी घिनौनी हरकतों के बारे में शिकायत कर सकते हैं ।
इस माहौल में भी आपका अपने देश के नियम कानूनों में विश्वास सराहनीय है। ऐसे में मैं आम नागरिक की तरह कुछ न करती और फ़िर व्यवस्था को दोष तो अवश्य ही देती। भारत के आम नागरिक की तरह मैंने जन्म से यही सीखा है कि पुलिस व न्याय व्यवस्था से उलझे बिना इस संसार से विदा लेनी है। हाँ, व्यवस्था की बुराई अवश्य करनी है, किन्तु अपना दामन बचाते हुए। बिना अपनी उपस्थिति दर्ज कराए। नई पीढी मेरी तरह हाथ पर हाथ धरे न बैठे यह कामना करते हुए,
घुघूती बासूती
आपने एक जागरूक नागरिक का कर्तव्य निभाया -यह अनुकरणीय है !
अच्छे कार्य के लिए साधूवाद.
aisa har ilake mein ho raha hai. akhbaar mein parche dalne wale asaani se pakad mein aa sakte hain par durbhagy yeh hai ki fasiwad logo ke dil-dimag mein ghusa diya gaya hai
जब तक हर व्यक्ति जागरूक न होगा। जनतंत्र सफल नहीं होगा।
चुनावी महौल…भडकाऊ माहौल। जो फस गया, समझो मर गया…जो नहीं फसा..वो तो हँसा:)
इस जागरूकता के लिए आप बधाई के पात्र हैं।
[…] यही है वह जगह काशी विश्वविद्यालय और बनारस पर « माहौल बिगाड़ने की साजिश […]
[…] माहौल बिगाड़ने की साजिश […]
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