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Archive for अगस्त, 2023

परियोजनाओं के उद्घाटन से जुड़ी रहती है इतिहास में अपना नाम सनद कराने की इच्छा।परियोजना का कुल खर्च भी आजकल बताया जा रहा है।यह नहीं बताया जाता कि यह पैसा अर्थव्यवस्था की आमदनी से आया अथवा विश्व बैंक जैसी संस्था का विदेशी कर्ज। 1959 में जब पहली बार विश्व बैंक से कर्ज लेने की चर्चा शुरू हुई थी तब भवानी बाबू ने लिखा-
पहले इतने बुरे नहीं थे तुम
याने इससे अधिक सही थे तुम

किन्तु सभी कुछ तुम्ही करोगे इस इच्छाने

अथवा और किसी इच्छाने , आसपास के लोगोंने

या रूस-चीन के चक्कर-टक्कर संयोगोंने

तुम्हें देश की प्रतिभाओंसे दूर कर दिया

तुम्हें बड़ी बातोंका ज्यादा मोह हो गया

छोटी बातों से सम्पर्क खो गया

धुनक-पींज कर , कात-बीन कर

अपनी चादर खुद न बनाई

बल्कि दूरसे कर्जे लेकर मंगाई

और नतीजा चचा-भतीजा दोनों के कल्पनातीत है

यह कर्जे की चादर जितनी ओढ़ो उतनी कड़ी शीत है ।
कर्ज लिया गया धन आजकल बड़ी बड़ी बहुदेशीय कंपनियों के पास पहुंच रहा है।यह कंपनियां परियोजना प्रस्ताव तैयार करने,संसाधन जुटाने के साम,दाम,दंड,भेद वाले तरीके सुझाने तक का काम करती हैं।पर्यावरण,संस्कृति,पुरातत्व पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से बचने के लिए यदि कायदे-कानून बने हुए हैं तो उनकी टांग कैसे तोड़ी जाए?कौनसा मंत्रालय,विभाग या प्राधिकरण उसे तुड़वाएगा?इसमें कितना वक्त लगेगा?ऐसे प्रश्न कंपनियां सरकार से हल करवाने के लिए कहती है।
सुना जा रहा है कि प्रधानमंत्री स्टेशनों के विकास से जुड़ी कुछ बड़ी परियोजनाओं की घोषणा बहुत जल्द करेंगे।दुनिया की चार बड़ी कंपनियों में एक का फितूर है कि सड़क,रेल और नदी मार्ग का टर्मिनल या स्टेशन बने।बड़ी परियोजनाओं में उद्घाटन के कई मौके निकाले जाते हैं।जैसे दानवाकार अखाद्य कंपनी पेप्सीको का कोलकाता या हल्दिया से लादकर बनारस पहुंचे मालवाहक जहाज या कार्गो की आगवानी प्रधानमंत्री ने नवम्बर 2018 में की थी तथा ‘बनारस बंदरगाह’ का भी उद्घाटन तब कर दिया था।उस प्रथम कार्गो के बाद अब तक दूसरा कार्गो बनारस नहीं पहुंचा है।
गंगा और वरुणा के बीच बने इस प्रायद्वीपनुमा भूभाग का भौगोलिक, पुरातात्विक,सांस्कृतिक, राजनैतिक महत्व है।इसे मनोविनोद के लिए ख़बतुलहवासी द्वारा नष्ट करने की योजना एक बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी ने प्रस्तुत की है।सरकार के किस विभाग,प्राधिकरण को कौन सी बाधाएं दूर करनी होगी यह भी कंपनी ने बताया दिया है।उपाय धूर्तता,धोखाधड़ी वाले हों तब भी गुरेज नहीं है।नाजायज,आपराधिक उपाय अपनाने वालों से राजा खुश होगा,कम्पनियां तिकड़म और कौशल को समानार्थी मानती है।
राजघाट प्रायद्वीप को नष्ट करने के लिए-
1.गंगा से 200 मीटर की दूरी तक निर्माण पर रोक का अलाहाबाद उच्च न्यायालय का आदेश परियोजना के आधे से अधिक क्षेत्र पर पाबंदी लगाता है।
2.विश्वविख्यात पुरातत्वविद प्रो ए के नारायण के मार्गदर्शन में हुई सफल पुरातात्विक खुदाई।खुदाई स्थल के संरक्षण के नियम परियोजना के लिए बाधा हैं।
3.शेरशाह सूरी द्वारा निर्मित ऐतिहासिक सड़क किनारे बना रौजा लाल खान तथा उस परिसर के चार कोनों में गुम्बद वाली मीनारें।पुरानी इमारतों के संरक्षण वाले ब्यूरो से अनापत्ति लेनी होगी।
4.कछुआ सैंक्चुअरी से बाधा आती है।वन्यजीव संरक्षण बोर्ड से अनापत्ति।
सुनते है यह हटा ली गई है।

रौजा लाल खां
पुरातात्विक खुदाई,राजघाट

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