[ प्रसिद्ध लेखक और सामाजिक कार्यकार्ता भारत डोगरा की यह कविता बाबा मायाराम की लिखी किताब ’सतपुड़ा के बाशिन्दे’ से साभार ली गई है । ]
पलामू के एक जंगल में
एक ट्राइबल को एक टाइगर मिल गया
दोनों के सम्बंध अच्छे नहीं थे उन दिनों
तो भी पुराने दिनों की खातिर
ट्राइबल ने हाथ जोड़ नमस्ते कर दी
घमंड में चूर बाघ ने मुंह फेर लिया
नमस्ते का जवाब तक न दिया
तिरस्कार की नज़र से घूरा
बोला – हट जाओ रास्ते से
हम तुम्हारे ढोर खाने जाते हैं
यह देख आदिवासी को ताव आ गया
बिरसा का खून धमनियों में बह गया
इतना दर्प ! ऐसा अपमान !
किस बात का है इसको गुमान
उसने तान दिया तीर – कमान
टाइगर ने अट्टहास किया,बोला
आज का कानून समझ के तीर चलाना
मैं तुम्हें मारूँ तो सुरक्षित हूँ
तुम मुझे मारो तो धर लिए जाओगे
पछताओगे , जेल की हवा खाओगे
ट्राइबल झल्लाया , बोला यह कैसा कानून
यह तो अंग्रेजों के दिनों में भी नहीं था
तब अति संक्षेप में टाइगर ने समझाया
प्रोजेक्ट टाइगर बन चुका है
प्रोजेक्ट मानव अभी बनना है
– भारत डोगरा.
बेहतर…
प्रोजेक्ट मानव अभी बनना बाकी है….
kya bakwas hai/.,,,,,
प्रोजेक्ट मानव बने, ना बने, सरकार की जो नीतियां और कु-कर्म हैं, उन्हें देखते हुए आने वाले दिनों मे प्रोजेक्ट आदिवासी जरुर बन जायेगा…
बाघ इतिहास और मानव इतिहास अलग अलग रचनाकार लिख रहे हैं
बहुत खूब !!
बहुत सामयिक और गहरे अर्थों वाली कविता। कवि का बहुत आभार!
bahut dino ke dhundh ko shabda mile.
Shukriya
suresh
और प्रोजेक्ट मानव कभी बनने नहीं पाएगा. अगर कभी बन गया तो यह इस की सभी राजंनीतिक पार्टियों के लिए ख़तरनाक साबित होगा.
kavita is tarah khatam honi chahiye.
sun ke tribal ne lagaya vyangyapoorna thahaaka,
bola sarkar ke project tho roz hi bante hain be gadhe,
par unse tera kya hoga kaliya
akhir tiger ki koi vote tho maangne nahi aa riya
बेवकूफ़ाना लेखन
कविता ऐसे विषयों पर ही लिखी जानी चाहिए|सटीक व्यंग्य है सरकारी अप्रोच पर|
[…] मनुष्य बाघ संवाद / कविता / भारत डोगरा […]
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वाह कितनी मर्म भरी बात कही आपने आपको सादर प्रणाम