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Posts Tagged ‘hawkers’

बनारस से प्रकाशित तीनों प्रमुख दैनिकों ने कल प्रथम पृष्ट पर यह संयुक्त विज्ञापन छापा था । मुझे कीटनाशकों के अवशेष पाए जाने के बाद तथाकथित गला-काट स्पर्धा वाली दोनों दानवाकार शीतल पेय कम्पनियों की संयुक्त प्रेस कॉन्फरेन्स की याद आई ।

From baghudi

[ कृपया विज्ञापन पढ़ने के लिए चित्र पर खटका मारें ।]
पेट काट कर सात दिनों की हड़ताल करने वाले हॉकरों की एकता को अखबार प्रबन्धन ने तोड़ दिया । इन तीनों प्रमुख दैनिकों से लड़ने के लिए
हॉकरों ने बनारस के सब से पुराने दैनिक ‘आज’ को बाँटना शुरु किया था । ‘आज’ प्रबन्धन पिछले कुछ वर्षों से रियल एस्टेट के धन्धे को प्रथमिकता देते हैं और तीनों प्रमुख दैनिकों की माँग की भरपाई करने के लिए जरूरी प्रतियाँ छापने की उनकी औकात नहीं रह गयी थी ।
मसिजीवी जानना चाहते थे कि हड़ताल से सम्बन्धित खबर छपती थी या नहीं । पीडी का अनुमान बिलकुल सही था । तीनों दानवों ने आज कुछ हॉकरों द्वारा अखबार प्रबन्धन को दी गयी नये साल की शुभ कामना छापी है । हड़ताल के दौरान बनारस के प्रमुख सान्ध्य दैनिक ‘गांडीव’ हड़तालियों की खबर ढंग से छाप रहा था ।
इस प्रकार बनारस के नगर संस्करण की कीमत साढे़ तीन रुपये हो गयी और डाक संस्करण की चार रुपये । हॉकरों का कमीशन दोनों संस्करणों के लिए एक रुपये पाँच पैसे रहा ।
चिट्ठेकारों द्वारा प्रदर्शित सहानुभूति एवं समर्थन के लिए हार्दिक शुक्रिया।

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पिछले बुधवार (२४ दिसम्बर , ‘०८ ) से बनारस से छपने वाला कोई अखबार बँट नहीं रहा है । न बँटने का कारण जान लेने के बाद सुबह-सुबह अखबार न पाना अखर नहीं रहा है । यदि एक हफ़्ते अखबार छप नहीं रहे होते तब शायद मीडिया में कोहराम मच गया होता ।

दरअसल पिछले एक हफ़्ते से बनारस शहर में यहाँ से छपने वाले अखबारों को घर-घर पहुँचाने वाले करीब ढाई हजार हॉकर हड़ताल पर हैं । ‘अमर उजाला’ , ‘हिन्दुस्तान’ और ‘दैनिक जागरण’ ने अपनी कीमत तीन से साढ़े तीन रुपये की और हॉकरों का कमीशन सिर्फ़ पाँच पैसे बढ़ाया । अखबारों की कमाई उस पर छपी कीमत से कहीं अधिक विज्ञापनों से मिलने वाले धन से होती है इसलिए हॉकरों की जायज माँग मानने में अखबार छापने वाले व्यवसाइयों को दिक्कत नहीं होनी चाहिए थी । अखबार व्यवसाइयों ने अपना घिनौना स्वरूप प्रकट करना शुरु किया है । नगर के तमाम पुलिस- बूथों से अखबार बँटवाना शुरु किया है । यह अलग बात है कि अखबार-पुलिस के इस चोली-दामन के साथ(या चोर-चोर मौसेरे भाइयों वाले नाते) से घर-घर अखबार पहुँचाने की भरपाई मुमकिन नहीं है ।

बनारस के निकट मेंहदीगंज के किसानों ने कोका कोला कम्पनी द्वारा भूगर्भ जल के दोहन के विरुद्ध जब आन्दोलन छेड़ा था तब हिन्दुस्तान टाइम्स प्रकाशन समूह ने शीतल पेय कम्पनी से करोड़ों रुपये का विज्ञापन ले कर आन्दोलन की खबरों को ब्लैक-आउट कर दिया था । नगर के एक मात्र पाँच सितारा होटल में शीतल पेय कम्पनी का राष्ट्रीय स्तर का अधिकारी आया था और उसने अखबार वालों से अपील की थी , ‘ अखबार भी हमारी तरह व्यवसाय है इसलिए हमारा साथ दीजिए ।’

दीए और तूफ़ान की इस लड़ाई में दीए बुलन्द रहें , कामना है ।

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