उत्तराखण्ड की किसी वादी में हुसैन नैसर्गिक सौन्दर्य को अपनी पेन्टिंग में उकेर रहे थे । वहीं लोहिया ने उनसे कहा कि हिन्दुस्तान के दिमाग़ पर ऐतिहासिक लोगों से भी ज्यादा असर राम और कृष्ण और शिव का है । राम और कृष्ण तो इतिहास के लोग माने जाते हैं , हों या न हों , यह दूसरे दर्जे का सवाल है। लोहिया ने कहा ,’किसी भी देश की हँसी और सपने ऐसी महान किंवदंतियों में खुदे रहते हैं । हँसी और सपने , इन दो से और कोई चीज बड़ी दुनिया में हुआ नहीं करती है । जब कोई राष्ट्र हँसा करता है तो वह खुश होता है , उसका दिल चौड़ा होता है। और जब कोई राष्ट्र सपने देखता है , तो वह अपने आदर्शों में रंग भर कर किस्से बना लिया करता है ।”
हुसैन ने आठ साल लगा कर रामायण पर पेन्टिंग्स की सिरीज बनाई जिसकी प्रदर्शनी हैदराबाद शहर से सटे देहातों में साईकिल रिक्शों पर सजा कर दिखाई गई । प्रदर्शनी के पूर्व उन्होंने काशी के पंडितों से उनकी बारीकियों पर चर्चा की । यह छठे दशक के शुरुआत की बात है । किसी भी बड़े काम के पहले हुसैन गणेश आँकते हैं । रामायण सिरीज रचना के दौरान कुछ कट्टर मुसलमानों ने हुसैन से पूछा था कि वे इस्लाम की थीम पर क्यों नहीं बनाते ? हुसैन ने उनसे पूछा था कि क्या आप में उतनी सहनशीलता है?
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Waah waah Afloo da. Very nice anecdote. I learnt something new today.