एक
ग़र चंद तवारीखी तहरीर बदल दोगे
क्या इनसे किसी कौम की तक़दीर बदल दोगे
जायस से वो हिन्दी की दरिया जो बह के आई
मोड़ोगे उसकी धारा या नीर बदल दोगे ?
जो अक्स उभरता है रसख़ान की नज्मों में
क्या कृष्ण की वो मोहक तस्वीर बदल दोगे ?
तारीख़ बताती है तुम भी तो लुटेरे हो
क्या द्रविड़ों से छीनी जागीर बदल दोगे ?
दो
हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये
अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़िये
हममें कोई हूण , कोई शक , कोई मंगोल है
दफ़्न है जो बात , अब उस बात को मत छेड़िये
ग़र ग़लतियाँ बाबर की थीं ; जुम्मन का घर फिर क्यों जले
ऐसे नाजुक वक्त में हालात को मत छेड़िये
हैं कहाँ हिटलर , हलाकू , जार या चंगेज़ ख़ाँ
मिट गये सब ,क़ौम की औक़ात को मत छेड़िये
छेड़िये इक जंग , मिल-जुल कर गरीबी के ख़िलाफ़
दोस्त , मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िये
– अदम गोंडवी .
Behtareen Khayalaaton se sazi ghazal…waah.
Neeraj
बेहतरीन!! वाह!!
bahoot khoob … kya baat hai… santi swaroop bhatnagar ne to liokha hi hai… “Yah teenon lokon se nyari kashi…. madhur manohar aativ sundar…..
per aapne aapne andaje bayan ko aaj ke daur se jod kar kya khub pesh kiya hai…
afrin …. arhabba……
Lajawaab….
[…] अदम गोंडवी : दो गज़लें […]
[…] अदम गोंडवी : दो गज़लें […]
behtrin
Adam gondvi ki gazal ek aam insaan ki gazal hai.
बेहतरीन नज्म ..अतीत की असलियत को बिना गुलाबी चश्में के दर्शा रही है
बहुत मार्के की बात करते हैं, अदम साहब. दोनों ग़ज़लें पसंद आईं.
शुभान अल्लाह …!
आज भी ये संदेशपरक हैं।
अंतिम पंक्ति ‘ में दोस्त मेरे’ के बाद कॉमा होने की बजाय ‘दोस्त’ के बाद कॉमा होने से अर्थ बदल गया है .
पर बेहद अच्छे अल्फाज़!
खो गया अनमोल तारा चांद तारोँ मे,
लग गयी है आग जैसे आशियाने में।
Janwadi Kavi Adam Gondvi Nahi Rahe………….
Adam Gondvi Sahab ko Shradhaanjali
I MISSS U TOO MUCH ADAM JI ..PLEASE COME AGAIN …….. GONDA(AWAD) KI DHARTI AAP KO BULA RAHI HAI…….
awath ke is shabdo ke purodha ko shat shat naman
हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये
अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़िये छेड़िये इक जंग , मिल-जुल कर गरीबी के ख़िलाफ़
दोस्त , मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िये Bahut khoob
mujhay kast hai aisay writer ko mainay tab jana jab manniye mulayam singh yadav ji(neta ji) nay apko hospital mai thakhil karya.i m so said.
bhaut kam aisay writer prathvi par janm laitay hai.apko mera salam.
Great poet Adam…. Pragatisheel vichardhara ke agrani Shayar
बेहद ख़ूबसूरत ग़ज़ल।