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Posts Tagged ‘जनम दिन’

जनम दिन

१.
जीर्ण कपड़ा उतार कर
नया पहनना
पुनर्जीवन है –
मेरे गले यह बात
अब तक नहीं उतरी |

कुशन पर धुले खोल
चढ़ाते वक्त
कल जरूर याद आया –
मेरा जनम दिन था |

२.
बा से पूछा था –
क्या होता है
वर्षगांठ पर ?
‘बड़े हो जाते हो
उस दिन ‘
बताया था उसने |

फिर रजाई के अंदर
पांव हिला कर
अंदाज लगाया
छठे जन्मदिन पर ।
और बिस्तर से निकलने के
पहले ही पूछा ,
‘काका जितना बड़ा हो गया ?’

लम्बा होना ही

तब बड़ा होने का समानार्थी था ।

अब बूढ़ा होना है ?

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