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Posts Tagged ‘गोताखोर’

मै गोताखोर, मुझे गहरे जाना होगा,
तुम तट पर बैठ भंवर से बातें किया करो.

मै पहला खोजी नहीं अगम भवसागर का,
मुझसे पहले इसको कितनो ने थाहा है,
तल के मोती खोजे परखे बिखराए हैं,
डूबे हैं पर मिट्टी का कौल निबाहा है.

मैं भी खोजी हूं, मुझमे उनमे भेद यही,
मैं सबसे महंगे उस मोती का आशिक हूं,
जो मिला नहीं, वो पा लेने की धुन मेरी,
तुम मिला सहेजो घर की बातें किया करो
मै गोताखोर, मुझे…..

पथ पर तो सब चलते हैं, चलना पड़ता है,
पर मेरे चरण नया पथ चलना सीखे हैं,
तुम हंसो मगर मेरा विश्वास ना हारेगा,
जीने के अपने अपने अलग तरीके हैं.

जिस पथ पर कोई पैर निशानी छोड़ गया,
उस पथ पर चलना मेरे मन को रुचा नहीं,
कांटे रौदूंगा, अपनी राह बनाउंगा,

तुम फ़ूलों भरी डगर की बातें किया करो,
कोई बोझा अपने सिर पर मत लिया करो.
मै गोताखोर, मुझे…

नैनो के तीखे तीर, कुन्तलों की छांया,
मन बांध रही जो यह रंगो की डोरी है,
इन गीली गलियों मे भरमाया कौन नहीं,
यह भूख आदमी की सचमुच कमजोरी है.

पर अपने पे विजय नहीं जिसने पायी,
मैं उसको कायर कहता हूं पशु कहता हूं,
बस इसीलिए मैं वीरानो में रहता हूं,

तुम जादू भरे नगर की बातें किया करो,
जब जब हो जरा उतार और पी लिया करो
मै गोताखोर, मुझे…

पथ पर चलते उस रोज़ बहार मिली मुझे,
बोली गायक मैं तुमसे ब्याह रचाऊंगी,
ऐसा मनमौजी मिला नहीं दूजा कोई,
जग के सारे फ़ूल तुम्हारे घर ले आऊंगी,

मैं बोला मेरा प्यार, सदा तुम सुखी रहो,
मेरे मन को कोई बंधन स्वीकार नहीं,
तब से बहार से मेरा नाता टूट गया,

तुम फ़ूलों को अपनी झोली में सहेज रख लिया करो,
मुझसे केवल पतझड़ की बातें किया करो.
मै गोताखोर, मुझे…

– पं. आनंद शर्मा
बड़े भाई अशोक भार्गव द्वारा पाठ

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