अन्त कायर का
कायरों को वार नहीं झेलने पड़ते
और इसलिए घाव
न उनकी छाती पर होते हैं
न पीठ पर
उनका खून बाहर नहीं गिरता
नसों में दौड़ता रहता है
अलबत्ता मरते वक्त
उन्हें खून की कै होती है ।
– भवानीप्रसाद मिश्र .
Posted in भवानीप्रसाद मिश्र bhavaniprasad mishra, hindi poem, kavita, tagged ant, अन्त, अन्त कायर का, कविता, कायर, भवानीप्रसाद, मिश्र, हिन्दी, bhavani prasad mishra, hindi, hindi poem, kayar on नवम्बर 26, 2009| 8 Comments »
कायरों को वार नहीं झेलने पड़ते
और इसलिए घाव
न उनकी छाती पर होते हैं
न पीठ पर
उनका खून बाहर नहीं गिरता
नसों में दौड़ता रहता है
अलबत्ता मरते वक्त
उन्हें खून की कै होती है ।
– भवानीप्रसाद मिश्र .