” जब गतिरोध की स्थिति लोगों को अपने शिकंजे में जकड़ लेती है तो किसी भी प्रकार की तब्दीली से वे हिचकिचाते हैं । इस जड़ता और नि्ष्क्रियता को तोड़ने के लिए एक क्रान्तिकारी स्पिरिट पैदा करने की जरूरत होती है , अन्यथा पतन और बरबादी का वातावरण छा जाता है । लोगों को गुमराह करनेवाली प्रतिक्रियावादी शक्तियाँ जनता को गलत रास्ते पर ले जाने में सफल हो जाती हैं । इससे इंसान की प्रगति रुक जाती है और उसमें गतिरोध आ जाता है । इस परिस्थिति को बदलने के लिए यह जरूरी है कि क्रान्ति की स्पिरिट ताजा की जाय , ताकि इंसानियत की रूह में हरकत पैदा हो । ” भगतसिंह
फांसी की सज़ा सुनकर बटुकेश्वर दत्त को पत्र
सेन्ट्रल जेल , लाहौर
अक्तूबर १९३०
प्रिय भाई ,
मुझे सुना दी गई है और फाँसी का हुक्म हुआ है । इन कोठरियों में मेरे अलावा फांसी का इन्तज़ार करनेवाले बहुत-से मुजरिम हैं । यह लोग यही प्रार्थनाएँ कर रहे हैं कि किसी तरह वे फांसी से बच जांए । लेकिन उनमें से शायद मैं अकेला ऐसा आदमी हूं जो बड़ी बेसब्री से उस उस दिन का इन्तज़ार कर रहा हूं जब मुझे अपने आदर्श के लिए फांसी के तख्ते पर चढ़ने का सौभा्ग्य मिलेगा । मैं खुशी फांसी के तख्ते पर चढ़कर दुनिया को दिखा दूंगा कि क्रान्तिकारी अपने आदर्शों के लिए कितनी वीरता से कु्र्बानी दे सकते हैं ।
मुझे फांसी की सज़ा मिली है , मगर तुम्हें उम्र कैद । तुम जिन्दा रहोगे और जिन्दा रहकर तुम्हें दुनिया को यह दिखा देना है कि क्रान्तिकारी अपने आदर्शों के लिए सिर्फ मर ही नहीं सकते , बल्कि ज़िन्दा रहकर हर तरह की यातनाओं का मुकाबला भी कर सकते हैं । मौत सांसारिक मुसीबतों से छुटकारा पाना का साधन नहीं बननी चाहिए , बल्कि जो क्रान्तिकारी संयोगवश फांसी के फन्दे से बच गए हैं , उन्हें जिन्दा रहकर दुनिया को यह दिखा देना चाहिए कि वे न सिर्फ अपने आदर्शों के लिए फांी पर चढ़ सकते हैं , बल्कि जेलों की अँधेरी कोठरियों में घुट-घुटकर हद दर्जे के अत्याचारों को भी सहन कर सकते हैं ।
तुम्हारा ,
भगतसिंह
अपने आदर्शों के लिए अंतिम सांस तक जीना और मरने के लिए तैयार रहना। यही तो श्रेष्ठ जीवन है।
सर ये पढ़ के क्या कहूँ …. क्या कहूँ कि कैसा लगा ?
बहुत बहुत धन्यवाद इस पोस्ट को आज लगाने के लिए सर!
भगसिँह जी जैसे वीर सपूत पर माता भारत भारती को सदा गर्व रहेगा !
अमर रहेँ, अमर शहीद !
सस्नेह्, सादर,
-लावण्या
waah kya baat hai
Real eye opener………मैं खुशी फांसी के तख्ते पर चढ़कर दुनिया को दिखा दूंगा कि क्रान्तिकारी अपने आदर्शों के लिए कितनी वीरता से कु्र्बानी दे सकते हैं ।
Real feelings….
[…] भगत सिंह की सुनो […]
[…] भगत सिंह की सुनो […]
आदरणीय सुधि पाठक जनों इस सारगर्भित लेख के लिए ब्लॉग के लेखक को धन्यवाद्, यदि आप भारतीय क्रांतिकारियों और स्वाधीनता संग्राम सेनानियों में रूचि रखते है , तो इन विषयों पर शोधपरक जानकारी हेतु मेरा ब्लॉग ” hindustan shahido ka” अवश्य पढिये, इसमें दुर्लभ चित्रों का भी समावेश है.
-अनिल वर्मा ,e-mail- anilverma55555@gmail.com