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कल ‘यही है वह जगह’ पर एक गीत डालने की कोशिश की , सफल नहीं रहा । मनीष और विमलजी के दिशा निर्देश पर गाड़ी चली लेकिन उन दोनों के चिट्ठे वर्डप्रेस पर नहीं हैं , सो मेरी दिक्कतें उन से कैसे दूर होतीं? कई प्रिय पाठकों को कल निराशा हुई होगी,त्रुटिपूर्ण पोस्ट देख कर । गीत प्रेमी मित्र सागर ने कहा कि उन्हें इसी समस्या की वजह से ब्लॉगर पर जाना पड़ा ।
मैंने एक नया चिट्ठा शुरु कर दिया ‘आगाज़’ । पत्रकार विप्लव राही ने समता युवजन सभा (इस जमात से मैं भी जुड़ा था) की दीवाल – पत्रिका इसी नाम ( आगाज़ ) से शुरु की थी , अस्सी के दशक में , काशी विश्वविद्यालय में । इस चिट्ठे पर जायें ,सुनें भी। बनारस की मट्टी से जुड़ा कुछ – कुछ देने की कोशिश रहेगी।